कृषि, उद्यानिकी व सहकारिता योजनाओं की समीक्षा बैठक में बोले कलेक्टर
हरदा। कृषि, सहकारिता, पशुपालन व उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ केवल पात्र किसानों को ही मिले, अपात्रों को नहीं। यह सुनिश्चित किया जाए। उन्नत कृषि यंत्रों व उपकरणों का लाभ लेने के लिये विभागीय पोर्टल के माध्यम से किसानों के आवेदन लिये जायें और उनमें से पात्र किसानों को ही लाभ दिलाया जाए। उक्त कथन हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह ने सोमवार को कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता व पशुपालन विभाग की समीक्षा बैठक में विभागीय अधिकारियों से चर्चा के दौरान कहे।
सोमवार को कृषि उपज मण्डी के सभाकक्ष में कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता व पशुपालन विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर विभागीय योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की। उन्होने आगामी दिनों में होने वाले उपार्जन कार्य की तैयारियों के संबंध में भी उपस्थित अधिकारियों से जानकारी ली। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोहित सिसोनिया, डिप्टी कलेक्टर संजीव नागू, उप संचालक कृषि संजय यादव, सहायक आयुक्त सहकारिता वासुदेव भदोरिया सहित अन्य विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे। कलेक्टर सिंह ने उपस्थित सभी अधिकारियों को निर्देश दिये कि किसानों के लिये संचालित सरकार की योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों के माध्यम से और संचार माध्यमों से करायें ताकि किसानों को इन योजनाओं की जानकारी हो और वे इन कृषक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ ले सके।
कलेक्टर सिंह ने बैठक में निर्देश दिये कि कृषि, सहकारिता, पशुपालन व उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ केवल पात्र किसानों को ही मिले, अपात्रों को नहीं। यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होने कहा कि उन्नत कृषि यंत्रों व उपकरणों का लाभ लेने के लिये विभागीय पोर्टल के माध्यम से किसानों के आवेदन लिये जायें और उनमें से पात्र किसानों को ही लाभ दिलाया जाए।
कलेक्टर सिंह ने उपसंचालक कृषि को निर्देश दिये कि किसानों को उन्नत कृषि संबंधी प्रशिक्षण के लिये जिले के बाहर और राज्य के बाहर ले जाने के लिये कार्यक्रम आयोजित किये जायें ताकि किसान नई-नई जानकारी लेकर अपना उत्पादन और आय बढ़ा सकें। प्रशिक्षण के लिये किसानों का चयन पारदर्शिता पूर्ण तरीके से किया जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि मूंग उत्पादन के लिये उर्वरक की आवश्यकता का आंकलन अभी से करें तथा पर्याप्त उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करें ताकि आवश्यकता के समय किसानों को पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध हो सके।
कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कलेक्टर सिंह ने कहा की खाद, बीज व कीटनाशकों की दुकानों का औचक निरीक्षण करें तथा अमानक कीट नाशक व खाद बीज विक्रय करने वाले संस्थानों के लायसेंस निलंबित व निरस्त करने की कार्यवाही की जाए। उन्होने कहा कि खाद, बीज व कीटनाशकों की दुकानों पर सामग्री की विक्रय दर संबंधी जानकारी स्पष्ट शब्दों में अंकित रहे तथा यदि किसान इसकी शिकायत करना चाहे तो उपसंचालक कृषि, सहायक संचालक उद्यानिकी या संबंधित क्षेत्र के एसडीएम का फोन नम्बर भी दुकान के सूचना पटल पर अंकित रहे साथ ही निर्देश दिये कि एसडीएम की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई जाए जो कि खाद, बीज व कीटनाशकों की दुकानों की समय-समय पर जांच करें। उन्होने निर्देश दिये कि खाद, बीज व कीटनाशक विक्रेताओं में से जालसाजी करने वालों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाए। कलेक्टर ने कृषि व उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को खाद, बीज व कीटनाशक विक्रेताओं की दुकानों पर बेची जा रही सामग्री की सैम्पलिंग व जांच कराने के निर्देश भी दिये।
अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पीड़ितों को पात्रतानुसार राहत दिलाएं : सिंह
कलेक्टर आदित्य सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत गठित जिला स्तरीय सतर्कता समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक को निर्देश देते हुए कलेक्टर सिंह ने कहा की अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पीड़ित व्यक्तियों को समय पर राहत दिलाई जाए तथा दोषी व्यक्तियों को अधिनियम के प्रावधानों के तहत न्यायालय के माध्यम से सजा दिलाई जाए। इस अवसर पर जिला अभियोजन अधिकारी भी उपस्थित थे।
जिला संयोजक डॉ. कविता आर्य ने बैठक में बताया कि अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत इस वर्ष अब तक अनुसूचित जाति के 63 लोगों को 72 लाख रुपये तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के 49 लोगों को 54 लाख 56 हजार रूपये स्वीकृत किये गये है। इनमें से अनुसूचित जाति वर्ग के 26 लोगों को 31 लाख 50 हजार रुपये तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के 30 लोगों को 33 लाख रूपये की राहत वितरित की जा चुकी है। इस तरह कुल 56 लोगों को 64 लाख 50 हजार रुपए की राहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक दिलाई जा चुकी है। उन्होने बताया कि शेष 56 लोगों को 62.063 लाख रूपये के भुगतान के लिये आयुक्त अनुसूचित जनजाति विकास विभाग से आवंटन की मांग की गई है।