नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मप्र के हरदा मे पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट मामले मे कड़ा रुख अपनाते हुए प्रशासन को सख़्त और कड़ी नीति बनाने के निर्देश देते हुए तीन सप्ताह मे इस मामले मे क्या कार्यवाही की गई है उसकी विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
भोपाल। नेशनल ग्रीनट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मप्र के हरदा मे पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट मामले मे कड़ा रुख अपनाते हुए प्रशासन को सख़्त और कड़ी नीति बनाने के निर्देश देते हुए तीन सप्ताह मे इस मामले मे क्या कार्यवाही की गई है उसकी विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। जस्टिस शिवकुमार सिंह और एक्सपर्ट मेम्बर डॉ. अफ़रोज अहमद ने एक याचिका पर कहा कि पटाखो का बफ़र जोन आबादी से दूर बनाना चाहिए। साथ ही सख्ती के साथ नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जाना चाहिए। एनजीटी कोर्ट ने कहा कि शासन को सख्त नीति बनाकर (स्टेंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर) मानक संचालन प्रक्रिया तय किया जाना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट मामले मे क्या कार्यवाही की गई है उसकी विस्तृत रिपोर्ट 3 सप्ताह मे प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया हैं। मामले कि अगली सुनवाई 6 मार्च को होगी।
उल्लेखनीय है कि समाजसेवी डॉ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव कि अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीनट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा कि हरदा में घटित हादसे जैसे मामले कि पुनरावृति भविष्य में नही होनी चाहिए। मध्यप्रदेश मे जहां भी इस तरह के पटाखों के गोदाम अथवा फैक्ट्री संचालित की जा रही है, वहां यह निश्चित किया जाना चाहिए की उन फैक्ट्रियों/गोदामो और आवासीय क्षेत्रों मे कम से कम 500 से 1000 मीटर का बफ़र जोन होना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील मे कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के खतरनाक पटाखों पर अंडरटेकिंग के आदेश पर अमल होता तो हरदा में विस्फोट हादसा नहीं होता। नेशनल ग्रीनट्रिब्यूनल ने हरदा जैसे हादसों पर पूर्ण नियंत्रण करने हेतु 26 बिंदुओं का विस्तृत विवरण दिया है, मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं, इसके बाबजूद मध्यप्रदेश में कई जगह इनका पालन नहीं किया जा रहा है। इस दलील पर एनजीटी कोर्ट ने सहमति जताते हुए पर्यावरण प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, रेवेन्यू और शहरी विकास विभाग को निर्देश देते हुए इस दिशा मे कड़ाई से नियमों का पालन कराए जाने हेतु नीति-नियामक बनाए जाने हेतु आदेश दिए है।
समाजसेवी डॉ. नाजपांडे ने कोर्ट को बताया की हरदा में घटनास्थल के पास निवासरत 100 से अधिक निवासियों ने एक घंटे तक खंडवा हरदा मुख्य मार्ग को जाम करते हुए मलबे और बारूद को तुरंत हटाए जाने की मांग करते हुए इलाके मे लगातार गैस और बदबू आने की शिकायत की है, डॉ. नाजपांडे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में एक आदेश दिया था कि जितने भी खतरनाक पटाखे है उनसे अंडरटेकिंग लीजिए। इस आदेश पर एनजीटी ने कहा कि इस आदेश का पूर्ण पालन होना चाहिए। प्रदेश सरकार एक नीति बनाए और इस पर स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम लागू करें। कोर्ट ने उक्त कार्रवाई को तीन सप्ताह के अंदर किए जाने हेतु निर्देशित किया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पास जमा 20 लाख हरदा के पीड़ितो पर होंगे खर्च

सुनवाई के दौरान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि हरदा मे हुई इस घटना के पीड़ितों के लिए एनजीटी के पास पूर्व मे जमा किए गए 20 लाख रुपए हादसे मे पीड़ितों पर खर्च किए जाना चाहिए। इस हेतु पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, रेवेन्यू एवं शहरी विकास के प्रमुख सचिवों की कमेटी उक्त खर्चे की ज़िम्मेदारी लेगी। एनजीटी ने कहा की इस पर तीन सप्ताह के अंदर एक्शन प्लान बनाकर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए, साथ ही हरदा हादसे के बाद से अब तक क्या कुछ कार्रवाई की गई है, इसकी पूरी एक्शन और प्लानिंग रिपोर्ट पेश की जाए तथा भविष्य मे इस तरह के हादसे को रोकने के लिए कड़ी नीति भी बनाई जाए।