राम के आदर्श और मर्यादा को आचरण में उतारना ही राम का सच्चा स्मरण है- आचार्य महेन्द्र

हरदा। भगवान राम के आदर्श और मर्यादा को आचरण में उतारना ही राम का सच्चा स्मरण है,केवल दर्शन भर कर लेने से राम की आराधना की पूर्णता नहीं होती। ये उद्गार कथा वाचक आचार्य महेन्द्र साकल्ले “सूरदास जी” ने हरदा नगर के बृज-शान्ति परिसर मे चल रही सात दिवसीय संगीतमय राम कथा के तृतीय दिवस व्यक्त किये।

उल्लेखनीय है कि हरदा नगर के मुख्य जैन मंदिर क्षेत्र के निकट स्थित बृज-शान्ति परिसर मे सात दिवसीय संगीतमय राम कथा का आयोजन दिनांक 23 से 29 फरवरी तक आयोजित किया गया है। अयोध्या मे प्रभु राम के भव्य मंदिर निर्माण होने  तथा हरदा नगर के बैरागढ क्षेत्र में पिछले दिनों हुऐ भीषण विस्फोट हादसे मे मारे गए लोगों की आत्मा की शान्ति के लिये यह आयोजन किया जा रहा है। 

आयोजन के तृतीय दिवस एकत्रित जन समुदाय को संबोधित करते हुए आचार्य महेन्द्र  साकल्ले “सूरदास” जी ने कहा की अगर हमे मनुष्य जन्म को सार्थक करना है तो राम के व्यक्तित्व को अपने व्यवहार और आचरण में उतारना होगा। उल्लेखनीय है कि आचार्य महेन्द्र साकल्ले दोनों आखों से निरंजन हैं और अपनी भावपूर्ण कथा वाचन के लिये दूर दूर तक लोकप्रिय हैं तथा उनकी संगीत मंडली के मुख्य संगीतकार और गायक तुलसीराम भी दोनों आखों से निरंजन हैं तथा अपकी कर्णप्रिय आवाज और संगीत वादन से जनता को मंत्रमुग्ध कर रहें है।

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