मंदसौर का गाँधी सागर अभ्यारण्य बना चीतों का नया आशियाना 

देश में पहली बार चीतों की इंटरस्टेट शिफ्टिंग की गई  है। रविवार को श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से मंदसौर जिले के गांधी सागर अभयारण्य पहुंचे दो नर चीतों- पावक और प्रभास को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गांधीसागर अभयारण्य के गेट नंबर 4 से बाड़े में छोड़ें। इसके पहले कूनो नेशनल पार्क से सुबह 8 बजे गांधी सागर के लिए चीतों को लेकर एक विशेष टीम रवाना हुई थी, जो दोपहर करीब 4 बजे गांधी सागर पहुंच गए। दोनों चीतों को ट्रेंकुलाइजर कर पिंजरे में डाला गया है। ये वही पिंजरे हैं, जिन्हें इन चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाने के लिए तैयार किया गया था।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गांधी सागर अभयारण्य में आज एक नया इतिहास रचा गया है, चीता पुनर्वास की दृष्टि से अभयारण्य में दो चीते “प्रभाष” और “पावक” छोड़े गए हैं। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश को चीता स्टेट बनाने का गौरव दिया है। मध्यप्रदेश की आबोहवा चीतों के लिए अनुकूल है। वन्य प्राणियों के संरक्षण की दिशा में प्रदेश में लगातार कार्य हो रहे हैं। अभयारण्य के माध्यम से रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। मई माह में बोत्सवाना से 4 चीते और आएंगे।

जानकारी के मुताबिक दोनों चीतों को वातानुकूलित गाड़ी में अलग-अलग पिंजरे में रखा गया था । चीतों को लेकर कुनो से निकला विशेष वाहन राजस्थान के कोटा, झालावाड़ होते हुए 8 घंटे में 360 किलोमीटर की दूरी बिना रुके तय कर गांधी सागर अभ्यारण पहुंचा । जहां इन्हें 6 वर्ग किमी में तैयार किए गए  बाड़े में छोड़ा गया । उल्लेखनीय हैं कि गांधी सागर अभयारण्य में वन विभाग ने चीतों के लिए 8900 हेक्टेयर का विशेष क्षेत्र तैयार किया है जिसमें 8 से 10 चीतों को बसाने की व्यवस्था की गई है। ज्ञात हो कि गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के भोजन के लिए अभयारण्य में 150 से अधिक चीतल, 80 से अधिक चिंकारा, 50 से अधिक व्हाइट बोर्ड और 50 से अधिक नीलगाय मौजूद हैं। इसके अलावा यहां पहले से ही हिरणों की अच्छी-खासी संख्या है ।  

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