देवास एसएनसीयू के डाक्टरों का कमाल – अब यूनिसेफ प्रकाशित करेगा यह कहानी

अति गंभीर बीमारी से पीड़‍ित बच्चे की जान बिना एंटीबायोटिक दिए बचाई, विटामिन-के की कमी से बिगड़ी थी हालत, नाक-कान के साथ ही शौच करने की जगह से निकल रहा था खून।

देवास। देवास जिले के सोनकच्छ के सरकारी अस्पताल में स्वस्थ हालत में जन्म लेने के बाद अगले ही दिन बच्चे की तबीयत अचानक गंभीर रूप से बिगड़ी, उसे नाक-कान, शौच करने की जगह से खून आने के बाद तत्काल देवास जिला अस्पताल के एसएनसीयू रेफर कर दिया गया।

यहां तुरंत उपचार शुरू किया गया, जो सुविधाएं मौजूद नहीं थी, उनको आउटसोर्स से जुटाया गया। 10 दिनों तक बच्चे का उपचार चला, खास बात यह रही कि इस दौरान एक भी डोज एंटीबायोटिक दवा का नहीं दिया गया। यह घटना पिछले साल जून की है जिसको यूनिसेफ अपनी बुक में प्रकाशित करने की तैयारी में है।

पड़ोसी जिले सीहोर के जावर की निवासी 20 वर्षीय शिवानी पति किशन का प्रसव देवास जिले के सोनकच्छ के शासकीय अस्पताल में 23 जून 2023 को हुआ था। जन्म के समय बच्चे का वजन 3.2 किलो था और वह पूरी तरह से स्वस्थ था। अगले दिन 24 जून को सुबह अचानक उसे कान, नाक, शौच करने की जगह से खून निकलने लगा। तुरंत 108 एंबुलेंस की मदद से देवास एसएनसीयू पहुंचाया गया। एसएनसीयू प्रभारी डा. वैशाली निगम ने बताया यहां जांच के दौरान गंभीर हालत को देख रेफर करने का सोचा गया लेकिन समय कम था।

ऐसे में बच्चे के स्वजनों की अनुमति लेकर उपचार शुरू किया गया। लक्षणों के हिसाब से बच्चे में विटामिन-के की कमी की पहचान की गई लेकिन इसकी पुष्टि के लिए लैब टेस्ट करवाने का समय नही था, इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों के प्रयासों से आउटसोर्स से फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (एफएफपी) का इंतजाम करके उसे बच्चे को चढ़ाया गया।

शाम तक उसकी हालत में सुधार होने लगा। शाम को लैब टेस्ट की रिपोर्ट में विटामिन-के की कमी की पुष्टि हुई। 24 घंटे के अंदर बच्चा खतरे से बाहर आ गया। इसके बाद 10 दिनों तक उपचार किया गया। इन 10 दिनों में एक भी बार बच्चे को एंटीबायोटिक दवा नहीं दी गई।

यह एक अति गंभीर केस था जिसमें सरकारी एंबुलेंस से समय से एसएनसीयू पहुंचाने के साथ ही त्वरित व प्रभावी उपचार देकर बच्चे को बचाया जा सका। इस केस की स्टडी के लिए यूनिसेफ की टीम आई थी, अब इसकी कहानी प्रकाशित करने की तैयारी है। – डा. अजय पटेल, आरएमओ जिला अस्पताल।

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