मजबूर हुए मोदी : तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और जनता दल (यूनाइटेड) के बिना नहीं बनेगी सरकार ; BJP बहुमत से दूर लेकिन NDA गठबंधन को बहुमत, दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू।
शिशिर गार्गव, एडिटर इन चीफ – संवाद
एनडीए सरकार का गठन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह 8 जून को होने की संभावना है। लोकसभा चुनाव 2024 में एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए कवायद शुरू कर दी है।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है। ताजा जानकारी के अनुसार शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन 8 जून को किया जाएगा। एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ ग्रहण करेंगे। इस बीच सरकार गठन और मंत्रीमंडल में हिस्सेदारी को लेकर चर्चा की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आज शाम एनडीए की अहम बैठक प्रस्तावित है। बताया जा रहा है कि उक्त बैठक में सरकार के गठन को लेकर घटक दलों से चर्चा की जाएगी।
BJP बहुमत से दूर लेकिन NDA गठबंधन को बहुमत
उल्लेखनीय हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 के बाद मंगलवार को आए देश के नए जनादेश में भारतीय जनता पार्टी को 240 सीटें मिली है। रिजल्ट के बाद भारतीय जनता पार्टी बहुमत से 32 सीटें दूर है लेकिन एनडीए गठबंधन ने 292 सीटों पर जीत हासिल कर पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लिया है। मंगलवार देर शाम पीएम मोदी ने मतगणना के बाद अपने संबोधन में सरकार बनाने का दावा भी किया था।
मजबूर हुए मोदी : तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और जनता दल (यूनाइटेड) के बिना नहीं बनेगी सरकार
नए जनादेश के बाद एनडीए गठबंधन की सरकार बनाने में अब तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और जनता दल (यूनाइटेड) की अहम भूमिका होने वाली है। यह बिल्कुल स्पष्ट है की इन दोने दलों के बिना भाजपा और मोदी का सरकार बना पाना संभव नहीं हैं। हालांकि दोनों दलों की ओर से बीजेपी को समर्थन देने की बात कही गई है। वहीं, जेडीयू के प्रवक्ता ने भी एनडीए को समर्थन देने की बात कही है।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू बैठक में शामिल होने पहुंचे दिल्ली, कौन होगा एनडीए का संयोजक ?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए की बैठक में शामिल होंने पटना से दिल्ली पहुँच गए हैं. वहीं, दूसरी और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू भी आंध्र से दिल्ली पहुँच गए हैं। इस बीच खबर हैं की एनडीए गठबंधन सरकार के गठन के पूर्व होने वाली बैठक में सम्मिलित होने दिल्ली पहुँच रहे घटक दलों के बीच ‘संयोजक’ पद पर नियुक्ति की चर्चा चल रही हैं। उल्लेखनीय हैं की अपने पिछले दो कार्यकाल में अपने बलबूते बहुमत का आंकड़ा जुटाने वाले नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में गठबंधन और उसके संयोजक के पद पर कभी विमर्श भी नहीं किया था, लेकिन अब जबकि भाजपा बहुमत के आंकड़े से काफी दूर है तो ऐसे में अब तक एक मजबूत, सशक्त निर्णय लेने वाले मोदी को सबसे पहले आज ही इस पद के पुन: सृजन करने और उस पर घटक दलों की सहमती और मंजूरी के बाद नियुक्ति करने की मज़बूरी झेलनी पड़ेगी।