Chaitra Navratri 2024: प्रथम दिवस करे माँ शैलपुत्री का पूजन; देखिए घटस्थापना मुहूर्त  

9 अप्रैल 2024 आज से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि के प्रथम दिन में मां शैलपुत्री भक्तों का कल्याण करती हैं। नवदुर्गा के प्रथम रूप में मां शैलपुत्री का स्वरूप कैसा है, उनकी उपासना किस प्रकार करनी चाहिए तथा मां के इस रूप को भक्त अपने अन्दर कैसे जागृत कर सकते हैं, आइए जानते हैं।

नवरात्र में जो भक्त जिस मनोभाव और कामना से श्रद्धापूर्ण विधि-विधान के साथ मां भगवती की आराधना एवं पूजन करता है, उसी भावना और कामना के अनुसार मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नामकरण शैलपुत्री के रूप में हुआ। मां शैलपुत्री का पूजन जीवन में सफलता के उच्चतम स्तरों को पाने के लिए किया जाता है। जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने की शक्ति पर्वत कुमारी मां शैलपुत्री प्रदान करती है। शैल पर्वत की चोटी, शिखर को कहते हैं। चेतना का सर्वोच्च शिखर मां शैलपुत्री की आराधना से भक्तों को प्राप्त होता है जिससे शरीर में स्थित कुण्डलिनी शक्ति जागृत होकर रोग-शोक रूपी दैत्यों का विनाश करती है।

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मां शैलपुत्री का दिव्य स्वरूप – शैलपुत्री माता के एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे में कमल का फूल रहता है, इनका वाहन वृषभ अर्थात् बैल है। मां का यह स्वरूप लावण्यमयी एवं अति रूपवान है। भगवान शंकर की भांति मां के इस स्वरूप का निवास भी पर्वतों पर है। ‘योगशास्त्र की पुस्तकों’ में इनका स्थान प्रत्येक प्राणी में नाभि चक्र से नीचे स्थित मूलाधार चक्र को बताया गया है। यही वह स्थान है जहां आद्य शक्ति ‘कुंडलिनी’ शक्ति के रूप में रहती है। इसलिए नवरात्र के प्रथम दिन देवी की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं। इसी स्थान से योग साधना का प्रारम्भ होता है। मां का यह रूप साधक को साधना में लीन होने की शक्ति, साहस एवं बल प्रदान करता है, साथ ही आरोग्य का वरदान भी देता है।

मां शैलपुत्री का भोग – मां शैलपुत्री को सफेद एवं लाल रंग की वस्तुएं बहुत पसंद हैं, इसलिए नवरात्र के प्रथम दिन इस स्वरूप के समक्ष सफेद या लाल रंग के पुष्प अर्पित कर लाल सिंदूर लगाएं, गाय के दूध से बने पकवान एवं मिष्ठान का भोग लगाने से मां खुश होकर भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं, साथ ही भक्त के घर की दरिद्रता को दूर करके उसके घर के सभी सदस्यों को रोग मुक्त करती हैं।

मां शैलपुत्री साधना मंत्र – शैलपुत्री देवी प्रथम दुर्गा स्वरूप हैं, इनकी उपासना के लिए साधक इस मंत्र का जाप नवरात्रि के प्रथम दिन कर सकते हैं।

ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः।।

Chaitra Navratri 2024 चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त (Ghatsthapna Muhurat)
चैत्र नवरात्रि मंगलवार, 9 अप्रैल 2024
घटस्थापना मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 02 मिनट से सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक
अवधि- 4 घंटे 14 मिनट्स
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक

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