शिशिर गार्गव
हरदा। नगर के दक्षिण में बैरागढ़ में स्थित पटाखा फैक्ट्री में गत मंगलवार को हुई विस्फोट की घटना के बाद शासन स्तर पर जांच और राहत कार्य जारी है, लेकिन घटना के 4 दिनों के बाद भी घटना की मुख्य वजह अभी भी सामने नहीं आई है, हालांकि घटना के बाद दहले बैरागढ़ के लोग और घटना से हताहत हुए पीड़ितों के परिजन अब सामने आकर घटना के कारणो को बता रहे है।
बैरागढ़ की जिस अवैध फटाखा फैक्ट्री में यह दिल दहला देने वाली घटना घटित हुई उस फैक्ट्री के मालिक और जिला प्रशासन की सांठगाँठ के आरोप विगत कई वर्षो से लगते रहे है, वही फैक्ट्री मालिक बिना किसी राजनैतिक संरक्षण के इतने बृहद स्तर पर अवैध कारोबार को कर रहा हो और पुलिस अथवा जिम्मेदार विभागों को इसकी भनक तक ना हो इस बात पर विश्वास नही किया जा सकता।
एक चिंगारी और सब कुछ तबाह ..
बहरहाल इस धमाके का फिलहाल ठोस कारण तो सामने नहीं आया है, मगर हादसे के दौरान फैक्ट्री में मौजूद मजदूरों की मानें तो इसके पीछे एक छोटी सी चिंगारी थी, जो बारूद को बारीक करने के दौरान निकली थी। हादसे के वक्त फैक्ट्री में काम कर रहे कुछ मजदूरों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया की घटना की शुरुआत बारूद को बारीक करने वाले कमरे से हुई थी पहले उस कमरे में बहुत तेजी से धुआं उठने लगा और कुछ ही देर में आग भड़की और धमाके होने लगे। उस वक्त फैक्ट्री के ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल पर मौजूद कर्मचारी भाग खड़े हुए। कुछ देर बाद पहला बड़ा धमाका हुआ जिसके लगभग पांच मिनिट बाद दुसरा बड़ा और विनाशकारी धमाका हुआ जिसके चलते चार मंजिला फैक्ट्री और उसके आसपास स्थित मकानों के परखच्चे उड़ गए। एक अन्य मजदुर ने बताया की घटना के दिन साप्ताहिक वेतन का दिन था इसलिए उस दिन की पाली में काम करने वाले कर्मचारियों के अलावा कई अन्य कर्मचारी हप्ते का पैसा लेने भी आए थे अब कौन बचा पता नहीं, फैक्ट्री में हर तल पर स्थित अलग अलग कमरों में 30 – 40 कर्मचारी काम करते थे जो फटाखा बनाने से लेकर पेकिंग तक पूरी प्रक्रिया को अंजाम देते थे, लगभग एक हजार से बारह सौ कर्मचारी काम करते थे इनमे से अधिकाँश खंडवा, बैतूल, खरगोन जिलो से थे इनके अलावा कई मजदुर राजस्थान , बिहार और महाराष्ट्र के थे।
घटना के वक्त अपने खेत पर काम कर रहे कृषक नरेन्द्र ने बताया की उनका खेत घटनास्थल से लगभग आधा किलोमीटर की दुरी पर स्थित है, पहले धमाके के समय उन्हें लगा शायद आसपास कही गैस सिलेंडर फटा होगा लेकिन कुछ ही मिनिट के बाद हुए धमाके से पूरी धरती डोलने लगी फिर आसमान से बड़ी संख्या में मकानों के हिस्से, लोहा , पत्थर बरसने लगे, नरेन्द्र ने बताया की उनके खेत के एक हिस्से में फटाखा फैक्ट्री की छत का एक हिस्सा आकर गिरा जिसके बाद उक्त स्थान पर सारी फसल और खेत की मिट्टी पूरी जल गई।

घटना के वक्त फैक्ट्री के सबसे नजदीक के खेत में स्थित मकान में निवासरत राजकुमार ने बताया की घटना के ठीक पहले फटाका फैक्ट्री में बारूद से भरा एक छोटा ट्रक खडा था, एकाएक फैक्ट्री से धुआं निकलने लगा और कई मजदुर बाहर भागते हुए दिखाई देने लगे इसी दौरान एक के बाद एक धमाके होने लगे, इससे वो घबराकर खेत में बने अपने मकान की और भागे, जब तक कुछ समझ पाते उनके खेत में बड़े बड़े पत्थर और टिन लोहा चारो और गिरने लगा, कुछ देर बाद जब धमाके बंद हुए तो उन्होंने देखा की उनके खेत के एक हिस्से में बारूद से भरा वो ट्रक धूंधूंकर जल रहा था, उनकी एक पालतू भैंस जो की बाड़े में बंधी थी बदहवास पड़ी थी, हालांकि, उनके परिजन और वे स्वयं घटना में सुरक्षित हैं।
मगरधा रोड पर घटना स्थल से कुछ दुरी पर स्थित एक नव-निर्मित मकान के मालिक अनिल वर्मा ने बताया की उनके मकान का निर्माण कार्य पिछले सप्ताह ही पूरा हुआ था, 1 सप्ताह बाद मकान और दूकान में पूजन और गृहप्रवेश का कार्यक्रम था, लेकिन घटना के बाद उनके नव निर्मित मकान और दूकान में भारी नुकसान हुआ है, दुकानों की सभी शटर तहस नहस हो गई, दरवाजे उखाड़कर गिर गए, भवन में जगह जगह छेद हो गए है, हालांकि घटना के वक्त भवन में कोई व्यक्ति नहीं था वरना जनहानि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता था।
दुसरे धमाके के बाद सडको पर बिखरी पड़ी थी लाशें

घटनास्थल के आसपास रहने वाले रहवासियों ने बताया की पहले धमाके के बाद गाँव और शहर की और से कई लोग घटनास्थल के नजदीक पहुँच गए और घटना को मोबाइल में कैद करने लगे इसी बीच फैक्ट्री के आगे के हिस्से में बने आतिशबाजी के गोडाउनो में आग भड़क गई और धमाके होने लगे और चारो और धूंआ ही धूंआ फैलने लगा जिसके बाद लोग भागने लगे इसी दौरान दुसरा जानलेवा धमाका हो गया फिर लगातार धमाके होते रहे और पुरे क्षेत्र में धूंए के गुबार उठने लगे जिसको जहां जगह मिली जान बचाने को भागने लगा इस अफरातफरी में कई लोग सडको पर गिर गए, धमाको के थमने के बाद सडको पर जगह जगह लाशें और मानव अंग बिखरे पड़े थे।
13वीं मौत… मासूम आशीष हार गया जिंदगी की जंग, एम्स में तोड़ा दम

पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे में घायल एक मासूम बच्चे की शुक्रवार को इलाज के दौरान एम्स में मौत हो गई, जानकारी के मुताबिक़ 8 वर्षीय मृतक आशीष राजपूत धमाके के दौरान अपने दिव्यांग पिता को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहा था इसी दौरान पत्थर लगने से संजय राजपूत और उनका आठ वर्षीय बेटा आशीष दोनों घायल हो गए थे। दोनों को गंभीर हालत में नर्मदापुरम के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां आशीष की हालत में सुधार ना होने पर उसे भोपाल एम्स भेजा गया था। जहा शुक्रवार को इलाज के दौरान आशीष ने दम तोड़ दिया।
हादसे से जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्य जुटाए जा रहे हैं। सामने आ रहे तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट तैयार हो रही है। फिलहाल ठोस कारण सामने नहीं आए हैं। -आदित्य सिंह, कलेक्टर, हरदा
हरदा के वाशिंदों की सजगता से बचे सैकड़ो मानव जीवन
घटना के तत्काल बाद जिला प्रशासन, पुलिस विभाग राहत कार्य मे जुट तो गया परंतु सीमित संसाधनो के आगे बेबस भी नजर आया हालांकि राज्य शासन को तत्काल मदद के लिए अलर्ट किया गया लेकिन सुदूर स्थानो से मदद आने मे समय लगना तय माना जा रहा था , इसके बीच मे हरदा नगर के वाशिंदों ने बिना समय गवाएँ मदद के हाथ आगे बढ़ाए और घायलों और प्र्भावितों को नजदीक के अस्पतालो और शासकीय अस्पताल लेकर दौड़ पड़े, नगर मे चारो और से लोग दो पहिया वाहनो, चार पाहिया वाहनो से लोगो को घटनास्थल से उठाकर अस्पताल लेकर पहुँचने लगे , नगर की कई समाजसेवी संस्था और समाजसेवी लोग रक्तदान के लिए जिला अस्पताल पहुँच गए, व्यापारियों ने नगर के मुख्य बाज़ार क्षेत्र मे स्थित दुकानों को तत्काल बंद कर दिया ताकि अग्निशामक वाहनो और एंबुलेंसों का आवागमन किसी भी प्रकार से अवरुद्ध ना हो, सैकड़ो युवा और नागरिक सड़को के दोनों और खड़े होकर देर रात तक मार्ग को सुलभ बनाते रहे जिसके चलते सैकड़ो लोग समय रहते अस्पताल पहुँच गए और उन्हे समय पर प्राथमिक इलाज मिल गया जिससे घटना मे हताहतों की संख्या सीमित होकर रह गई, आसपास के जिलो से अग्निशामक वाहनो और एंबुलेंस भी समय रहते पहुँचने लगी जिससे राहत और बचाव कार्य बड़ी तेजी से आगे बढ़ा अन्यथा इस घटना से हताहत होने वाले लोगो की संख्या सैकड़ो से हजारों मे तब्दील होने से कोई नहीं रोक सकता था।