हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता है कि एकादशी पर्व पर भगवान विष्णु की आराधना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह दो एकादशी व्रत होते हैं। श्री हरिहर ज्योतिष, संस्कृत विद्यालय एवं सेवा संस्थान के प्रमुख आचार्य पंडित पीयूष उपाध्याय के मुताबिक, फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी और आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल रंगभरी एकादशी 20 मार्च 2024 को है। यदि आप भी अपने दांपत्य जीवन में खुशहाली चाहते हैं तो एकादशी व्रत पर ये उपाय जरूर करें।
- लाल चुनरी तुलसी माता को चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने पर दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है।
- रंगभरी एकादशी तिथि की शुरुआत 20 मार्च को रात 12.21 बजे से होगी।
- इस तिथि का समापन 21 मार्च को सुबह 02.22 बजे होगा।
- उदया तिथि के अनुसार रंगभरी एकादशी व्रत 20 मार्च 2024 को रखा जाना चाहिए।
सुहाग की सामग्री करें अर्पित
रंगभरी एकादशी पर तुलसी के पौधे को सुहाग की सामग्री अर्पित करना चाहिए। लाल चुनरी भी तुलसी माता को चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने पर दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। पारिवारिक जीवन में तनाव दूर होता है।
तुलसी के पौधे को बांधे कलावा
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रंगभरी पर शादीशुदा जोड़ों को तुलसी के पौधे पर कलावा बांधना चाहिए। ऐसा करने से इंसान तुलसी माता के साथ भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
तुलसी मंत्र का करें जाप
रंगभरी एकादशी के दिन पूजा के दौरान तुलसी माता की पूजा के बाद तुलसी मंत्र का जाप करना चाहिए । इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को आर्थिक लाभ मिल सकता है।
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी ,आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी , नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते ।।
ये है पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक, रंगभरी एकादशी तिथि की शुरुआत 20 मार्च को रात 12.21 बजे से होगी और इस तिथि का समापन 21 मार्च को सुबह 02.22 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार रंगभरी एकादशी व्रत 20 मार्च 2024 को रखा जाना चाहिए।
आज होंगे श्रीनाथ जी मंदिर में गोवर्धननाथ जी के विशेष दर्शन
रंगभरी एकादशी, कुञ्ज एकादशी के पुनीत अवसर पर हरदा नगर के श्रीनाथ जी मंदिर में श्री गोवर्धननाथ जी के विशेष दर्शन अपरान्ह 12 बजकर 15 मिनिट से होंगे, मंदिर के मुखिया जी आचार्य पं. पीयूष उपाध्याय ने बताया की इस अवसर पर विशेष दर्शन के साथ रसिया गान का आयोजन भी किया गया है।