नईदिल्ली। किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर प्रस्तावित कीरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए 2019 में 2200 करोड़ रुपये के सिविल वर्क का कॉन्ट्रैक्ट देने में कथित भ्रष्टाचार मामले में कार्यवाही करते हुए गुरूवार सुबह जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के दिल्ली स्थित आवास और दफ्तर की सीबीआई ने तलाशी ली है। सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर में भी कुल 30 जगहों पर छापेमारी की है।
किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर प्रस्तावित कीरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए 2019 में 2200 करोड़ रुपये के सिविल वर्क का कॉन्ट्रैक्ट देने में कथित भ्रष्टाचार मामले में कार्यवाही करते हुए गुरूवार सुबह जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के दिल्ली स्थित आवास और दफ्तर की सीबीआई ने तलाशी ली है। सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर में भी कुल 30 जगहों पर छापेमारी की है।
सत्यपाल मलिक ने ही इस घोटाले का आरोप लगाया था। इस मामले में सीबीआई ने केस दर्ज किया था। केस के मुताबिक करीब 2,200 करोड़ रुपये का सिविल वर्क का ठेका इस प्रोजेक्ट के लिए एक निजी कंपनी को 2019 में दिया गया था। आरोप है कि इस ठेके में घोटाला किया गया था। सीबीआई ने इस केस में दिसंबर में भी कई जगहों पर छापेमारी की थी। इन लोगों में कंपनी से जुड़े कंवलजीत सिंह दुग्गल और डीपी सिंह भी शामिल थे, जिन पर छापेमारी की गई थी। सत्यपाल मलिक ने एक इंटरव्यू में आरोप लगाया था कि उन्हें इस प्रोजेक्ट समेत दो फाइलों को मंजूर करने के लिए 200 करोड़ रुपये का ऑफर भी दिया गया था, लेकिन उन्होंने उसे खारिज कर दिया था।
सत्यपाल मलिक 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे थे। उनका कहना था कि इसी दौरान इस प्रोजेक्ट की फाइल उनके पास आई थी, जिस पर उन्हें मंजूरी के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत का ऑफर मिला था। इस केस में एजेंसी ने चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन नवीन कुमार चौधरी, पूर्व अधिकारियों एम.एस. बाबू, एम.के मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग के खिलाफ केस दर्ज किया है।
क्या है आरोप : सीबीआई से जुड़े सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने सत्यपाल मलिक के आवास पर इस केस से जुड़ी कुछ चीजों के लिए सर्च किया। इस मामले की जांच सीबीआई अप्रैल, 2022 से ही कर रही है। कीरू प्रोजेक्ट किश्तवाड़ से 42 किलोमीटर की दूरी पर है। 20 अप्रैल, 2022 को जम्मू-कश्मीर सरकार ने सीबीआई से मांग की थी कि वह इस मामले की जांच करे। आरोप है कि इस प्रोजेक्ट के लिए ठेके देने में ई-निविदाएं आमंत्रित न करने का फैसला लिया गया था। आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि कॉन्ट्रैक्ट देने में घोटाला किया जा सके।