छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में रविवार सुबह जैन समाज के रत्न आचार्य विद्यासागर महाराज का दिगंबर मुनि परंपरा से समाधि पूर्वक मरण हो गया। आचार्य विद्यासागर ने 3 दिन पहले ही समाधि मरण की प्रक्रिया को शुरू कर पूर्ण रूप से अन्न-जल का त्याग कर दिया था और अखंड मौन व्रत ले लिया था. उनका जन्म कर्नाटक के सदलगा गांव में 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था।
आज 18 फरवरी का दिन जैन समाज के लिए दुखद और कठिन दिन है जहां पर समाज के रत्न आचार्य विद्यासागर महाराज ने शरीर त्याग दिया है। बीते रात छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में 2:35 बजे दिगंबर मुनि परंपरा से समाधिपूर्वक मरण हो गया है। आचार्य विद्यासागर जी के पार्थिव शरीर को रविवार दोपहर 1 बजे पंचतत्व मी विलीन किया जायेगा।

3 दिन पहले ही त्यागा था अन्न-जल : आचार्य विद्यासागर महाराज ने 3 दिन पहले ही समाधि मरण की प्रक्रिया को शुरू कर पूर्ण रूप से अन्न-जल का त्याग कर दिया था और अखंड मौन व्रत ले लिया था। वहीं गुरुवार को उनके पार्थिव शरीर को दोपहर 1 बजे पंचतत्व में विलीन किया जाएगा। बता दें, वे लगभग 6 माह से डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में रुके हुए थे और पिछले कई दिनों से अस्वस्थ थे।
26 वर्ष की आयु में बने थे आचार्य : दिवंगत आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने 22 नवंबर 1972 को महज 26 साल की उम्र में जैन समाज के उद्धार की कमान संभाल ली थी। उनका जन्म कर्नाटक के बेलगांव के सदलगा गांव में 1946 में शरद पूर्णिमा के दिन 10 अक्टूबर को हुआ था जहां पर वे परिवार 3 भाई और 2 बहनें है। उनके 2 भाई मुनि है वहीं बहनों स्वर्णा और सुवर्णा ने ब्रम्हचर्य धारण कर लिया था। उनका नाम गिनीज विश्व रिकॉर्ड में दर्ज है जिसके लिए 11 फरवरी को ब्रम्हांड के देवता के रूप में ही सम्मानित किया गया था।
अब कौन होंगे अगले आचार्य : आचार्य विद्यासागर महाराज के बाद जैन समाज के मुनि और शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर महाराज होंगे। बताया जा रहा है कि 6 फरवरी को ही उन्होंने मुनि समयसागर और मुनि योगसागर को एकांत में बुलाकर जिम्मेदारियां सौंप दी थी। दोनों मुनि उनके ग्रहस्थ जीवन के सगे भाई है।