5 लोगों को नया जीवनदान देकर अमर हुआ हरदा का सुनील, दिल और फेफड़े अहमदाबाद तो अन्य अंग इंदौर में हुए प्रत्यारोपित

जिले के टिमरनी ब्लाक के ग्राम छिदगाँव तमोली के राजपूत परिवार ने त्याग की एक नई इबारत लिखते हुए अपने ब्रेन डेड घोषित हो चुके कलेजे के टुकड़े के पांच महत्वपूर्ण अंगो को दान कर मनुष्य जीवन के सर्वोच्य महादान कर अपने पुत्र की स्मृति को अक्षुण्य बना दिया, रविवार को राजपूत परिवार के इस चिराग को पंचतत्व में विलीन कर दिया गया लेकिन इस लोक से जाने के पूर्व सुनील ने अपने नाम के अनुरूप पांच लोगो को नया जीवनदान देकर अपने नाम को सार्थक करते हुए आसमान के समान नील रंग की छटा बिखेर गया।

हरदा। विगत गुरूवार – शुक्रवार इंदौर बैतूल फोर लेन रोड पर ग्राम सोडलपुर और ग्राम मनिया खेड़ी के बीच एक सड़क दुर्घटना में घायल युवक सुनील राजपूत का शनिवार को इंदौर में निधन हो गया, प्राप्त जानकारी के मुताबिक हरदा जिले के टिमरनी ब्लाक के ग्राम ग्राम छिदगाँव तमोली के किसान परिवार का 24 वर्षीय युवक सुनील राजपूत पिता मुकेश राजपूत का विशेष जुपिटर हॉस्पिटल इंदौर में उपचार के दौरान अंतिम साँसे ल, इसके पूर्व दुर्घटना के बाद युवक को गंभीर अवस्था में पहले हरदा के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे इंदौर रेफर किया गया था।  

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ब्रेन डेथ घोषित होने के बाद माता-पिता ने किया अंगदान का निर्णय

इंदौर के विशेष जूपिटर हॉस्पिटल उपचाररत छिदगाँव तमोली जिला हरदा निवासी नवयुवक सुनील के परिजनों को डाक्टरों ने शनिवार सुबह उसकी स्थिति की जानकारी देते हुए बताया की उसकी ब्रेन डेथ हो चूँकि है, ऐसी स्थिति में मनुष्य का मष्तिष्क पूरी तरह से काम करना बंद कर देता हैं तथा मस्तिष्क की स्टेम कार्यप्रणाली में किसी भी प्रकार की गतिविधि के वापस आने की कोई संभावना शेष नहीं रहती हैं। इस घटनाक्रम के पश्चात इंदौर शहर में कार्यरत मुस्कान ग्रुप के सेवादार जीतू बगानी एंव संदीपन आर्य के द्वारा सुनील के परिजनों के साथ चर्चा करते हुए संभावित ब्रेन डेथ के उपरांत अंगदान हेतु ग्रीफ काउंसलिंग की गई जिसके बाद  राजपूत परिवार ने स्वीकृति प्रदान करते हुए उनके कलेजे के टुकड़े के अंगदान करने का निर्णय लेते हुए उसकी स्मृति को अक्षुण्य रखने का निर्णय लिया गया

स्वीकृति मिलते ही अंगदान की तैयारियां की गई आरंभ

मुस्कान ग्रुप के जीतू बगानी ने जानकारी देते हुए बताया की परिवार की सहमती के पश्चात इंदौर संभाग आयुक्त दीपक सिंह की सतत मॉनिटरिंग में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन और इंदौर सोसाइटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के सचिव डॉ संजय दीक्षित,नोडल ऑफिसर डॉ मनीष पुरोहित, निधि शर्मा,  शुभम वर्मा के समन्वय में चार सदस्यीय चिकित्सक दल द्वारा ब्रेन डेथ सर्टिफिकेशन  (प्रथम) सुबह 7:45 पर एवं (द्वितीय) जांच दोपहर 1:46 मिनट पर विधान पूर्वक रोगी का ब्रेन डेथ प्रमाणित किया गया।

इंदौर में बना 56वां ग्रीन कॉरिडोर , हार्ट और लंग्स भेजे गए अहमदाबाद 17 मिनिट में पहुंचाया गया एयरपोर्ट

सारी तैयारियों को पूरा करने के बाद विशेष जुपिटर हॉस्पिटल के डॉ सीपी पंडित,डॉ भाविक शाह, डॉ  अंशुल जैन, ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर निकिता पूरंदकर, ऋतुराज एवं अन्य साथी दलों के द्वारा चिकित्सा अंग प्रत्यारोपण की कार्यवाही संपन्न की। इसके बाद शनिवार रात पहला ग्रीन कॉरिडोर 8:51 बजे जुपिटर विशेष हॉस्पिटल से एयरपोर्ट तक बनाया गया इस कॉरिडोर में 17 मिनट में रात्री 9:08 पर हार्ट और लंग्स लेकर एक दल एयरपोर्ट पहुंचा जहां चार्टर प्लेन से अहमदाबाद प्रेषित किए गए जहां मेरंगो सिम्स हॉस्पिटल के पंजीकृत रोगी को हृदय और फेफड़े का प्रत्यारोपण किया जाएगा।

दुसरा ग्रीन कॉरिडोर किडनी के लिए विशेष जुपिटर हॉस्पिटल से चोईथराम हॉस्पिटल के बीच बनाया गया, इस दौरान एक अन्य दल रात्रि 8:58 पर किडनी को लेकर निकला और 9:05 पर चोईथराम हॉस्पिटल पहुंचा। वही लीवर और एक किडनी विशेष जूपिटर हॉस्पिटल में ही पंजीकृत एक महिला रोगी को प्रत्यारोपित की गई।

मुस्कान ग्रुप के सेवादार बगानी ने बताया की मेडिकल ऑफिसर डॉ अमित अत्रे और पुलिस प्रशासन की ओर से ACP ट्रैफिक पुलिस किरण कुमार शर्मा ने परिवार को पोस्टमार्टम और पंचनामा रिपोर्ट प्रदान कर शव को सौंपा गया। उन्होंने बताया की इस अंतरराज्यीय ग्रीन कॉरिडोर के के लिए डीसीपी अरविंद कुमार तिवारी एवं इंदौर ट्रैफिक पुलिस की टीम, इंदौर एयरपोर्ट अथॉरिटी, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की टीम के समन्वय से सभी कार्य समय से संपन्न हुए।

पंचतत्व में विलीन हुआ सुनील

अपने पुत्र के असमय निधन के बाद उसके अंगो को दान कर एक नई मिसाल कायम करने वाले राजपूत परिवार के द्वारा शनिवार को इंदौर में सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद उनके पुत्र के शव को अपने गृह जिले हरदा ले जाने का निर्णय लिया इसी के बाद  रविवार को नर्मदा तट नेमावर पर सुनील का अंतिम संस्कार किया गया, इस दौरान बड़ी संख्या में सामाजिक और स्थानीय लोग मौजूद रहे।     

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