हरदा में रात्रि 8 से 10 बजे तक ही चलाये जा सकेंगे पटाखे

हरदा । दीपावली प्रकाश का पर्व है। दीपावली पर्व के दौरान विभिन्न पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। पटाखों के निर्माण में विभिन्न प्रकार के केमिकल्स का उपयोग होता है ज्वलनशील एवं ध्वनि कारक पटाखों के उपयोग के कारण परिवेशीय वायु में प्रदूषक तत्वों एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि होती है। विभिन्न भौगोलिक गतिविधियों के कारण ठंड के मौसम में वायु का सिरपर्सन वायुमण्डल में अधिक ऊँचाई तक नहीं होने के कारण परिवेशीय वायु में वायु प्रदूषक तत्वों का स्तर बढ़ जाता है, जो मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
कलेक्टर ऋषि गर्ग ने बताया कि हरदा शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 107.72 है जो कि मध्यम श्रेणी में आता है। अतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार मध्यम स्तर के गुणवत्ता सूचकांक वाले शहरों में हरित पटाखों के अलावा अन्य पटाखें प्रतिबंधित रहते है तथा इन हरित पटाखों के उपयोग की समय सीमा भी रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक निर्धारित की गई है।

उन्होने जिले के नागरिकों से अपील की है कि दीपावली के पर्व पर सिर्फ हरित पटाखों का उपयोग सीमित मात्रा एवं निर्धारित समयावधि में ही करें। उन्होने अपील की है कि पटाखों के जलने के उपरांत बचे हुए कचरे को सामान्य घरेलू कचरे के साथ न मिलावे व इस कचरे को पृथक स्थान पर एकत्रित किया जाए तथा नगर पालिका के कर्मचारियों को सौंपा जाए।

कलेक्टर गर्ग ने बताया कि पटाखों का प्रस्फोटन संवेदनशील क्षेत्र जैसे अस्पताल, नर्सिंग होम, हेल्थ केयर सेंटर शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक संस्थानों इत्यादि से 100 मीटर की दूरी तक प्रतिबंधित हैं। पटाखों के जलने के उपरांत बचे हुए कागज के टुकडे एवं अधजली बारूद के सम्पर्क में आने से पशुओं एवं बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना रहती है। अतः पटाखों के जलने के उपरांत उत्पन्न कचरे को ऐसे स्थानों पर न फेंका जाए जहाँ पर प्राकृतिक जल स्त्रोत अथवा पेय जल स्त्रोत के प्रदूषित होने की सम्भावना हो।

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