बोले पटेल – कौन मजदुर है कौन राहगीर पता नहीं, 32 मजदुर बताए जा रहे है तो सूची कहां है ? नप गए दो अफसर
शिशिर गार्गव –
भोपाल। विगत 6 फरवरी को हरदा नगर के बैरागढ़ क्षेत्र में स्थित सोमेश पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट,मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है, इस पुरे मामले में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने लौटाते हुए जांच से अस्तुन्ष्टि जाहिर करते हुए कड़ी टिप्पणी की है।
मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए श्रम मंत्री पटेल ने कहा की हरदा पटाखा फैक्ट्री मामले में जो रिपोर्ट जिला प्रशासन की और से भेजी गई है वो न केवल भ्रमित करने वाली है बल्कि लापरवाही की पराकाष्ठा है, श्रम मंत्री ने रिपोर्ट पर कई सवाल खड़े करते हुए रिपोर्ट को लौटा दिया है, पटेल ने कहा की जब इस पुरे मामले को आप देखते है तो पहला प्रश्न उठता है की इसी फैक्ट्री में इसी स्थान पर विगत वर्ष 2015 में भी इसी तरह की एक घटना हो चुकी थी, इसके बाबजूद उक्त फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का पंजीयन क्यों नहीं हुआ ?
श्रम मंत्री के तेवर और उठाए गए प्रश्नों के बाद हरदा ब्लास्ट की प्रस्तुत रिपोर्ट सवालों के घेरे में है, वही अधिकारियों की तरफ से की गई जांच को अधूरा बताकर, जांच पर भी सवाल उठने लाजमी है, मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए मंत्री ने बताया की विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और सवालिया कार्यशैली को देखते हुए हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट मामले में प्रस्तुत रिपोर्ट को लौटा दिया गया है, पटेल ने कहा की जब मजदूरों की सूची ही नहीं है तो सत्यापन किस आधार पर किया ?मजदूरों की पहचान के लिए विभाग से पूछा गया लेकिन कोई जबाब ही नहीं मिला, इसके बाद मंत्री पटेल ने कहा की जब उद्योग में काम करने वाले मजदूरों की पंजीयन सूची संख्या ही नहीं है तो आप किस आधार पर न्याय या फैसला करेंगे।
हरदा कलेक्टर से मांगे दस्तावेज : श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने इस मामले में हरदा कलेक्टर और विभाग के अधिकारियों से सीधा प्रश्न करते हुए निर्देश देते हुए हुए कहा की जब
‘’जब सूची ही नहीं है तो वेरिफिकेशन किस आधार पर है, आप किसी घायल को पुछकर उसे मजदुर बता रहे है, या वो मजदुर होगा, उसको .. मैं बहस में नहीं पड़ रहा , लेकिन आपके पास में किसी इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगो की सूची नहीं है , तो इसके बाद आधार क्या होगा न्याय करने का, और इसलिए मुझे लगता है की मैं खुद प्रथमदृष्टया, मैंने उस रिपोर्ट को स्वीकार्य नहीं किया है, और मैंने कहा है की यदि कोई पेपर वहां के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पास हो , हमारे विभाग के किसी के पास हो, क्योंकि 2015 में ठीक ऐसा ही इन्सिडेंट हो चुका है और उसके बाद भी अगर सूची उपलब्ध नहीं है तो हमको अपने मेकेनिजम पर फिर से विचार करना पडेगा की हम तरीका क्या अपनाएं .. वो निर्देश मैंने जारी किए है।‘’
सवाल जो श्रम मंत्री ने पूछे
- हादसे वाली फक्ट्री में कुल कितने कर्मचारी कार्य करते थे, इनकी पंजीयक सूची कहां है ?
- जब वर्ष 2015 में इसी फैक्ट्री में हादसा हुआ था तो उसके बाद यहां काम करने वाले मजदूरों की संख्या का पंजीयन क्यों नहीं किया गया ?
- फैक्ट्री ब्लास्ट में जो रिपोर्ट आपने प्रस्तुत की है उसके आधार पर मजदूरों की संख्या 32 बताई जा रही है तो सूची कहाँ है ? जब सूची ही नहीं है तो सत्यापन किस आधार पर हो रहा है ?
- आप किसी घायल से पुछकर उसे मजदुर कैसे बता रहे हो ?
- फिलहाल जो पीड़ित और उपचाररत है उनमे आम लोगो की संख्या अधिक बताई जा रही है, तो फिर मजदुर कहां है ?
मंत्री जी की नाराजगी और नप गए 2 अफसर : मप्र के श्रम मंत्री के तेवर बता रहे थे की वे अपने विभाग की इस लापरवाही से किस कदर खफा थे, इसी फैक्ट्री के वर्ष 2015 के मामले में लापरवाही और गड़बड़ी के चलते एपी सिंह, उप संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य व सुरक्षा भोपाल तथा नवीन बरुआ सहायक संचालक को निलंबित किया गया है, दोनों अधिकारी 2015 के हादसे मामले में केस खारिज होने के जिम्मेदार माने गए है, इस मामले में बरुआ के खिलाफ चार्जशीट दायर भी की गई है।