रंगों का त्योहार होली जिलेभर में परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक लोग पुराने गिले-शिकवे मिटाकर एक दुसरे को होली की शुभकामना देते गुलाल लगाते देखे गए। इस बार ज्यादातर लोगों ने रासायनिक रंगों अपेक्षा हर्बल रंग गुलाल और फूलों से होली खेली। वही दूसरी और होली के रंगों में डूबे और रंग बरसै चुनरवाली रंग बरसै, होली के दिन दिल मिल जाते हैं, रंगों में रंग खिल जाते हैं आदि गीतों की धुन पर थिरकते हुरियारों की टोली इस बार नजर नहीं आई।
पटाखा फैक्ट्री दुर्घटना के प्रभावित परिवारों के साथ होली मनाने पहुंचे एसपी और कलेक्टर

हरदा पटाखा फैक्ट्री के प्रभावितों के लिए घटना के बाद यह पहला बड़ा त्यौहार आया था, अभी प्रभावित परिवार जिला प्रशासन के द्वारा बनाए गए आश्रय स्थल आईटीआई कॉलेज परिसर में ही आश्रय लिए हुए है, अपना और अपनों को गंवाकर मायूस और उदास प्रभावितों के परिवारजनों के लिए होली का यह पावन त्यौहार शुभ सयोंग लेकर आया।
जिले के दोनों आला अधिकारी कलेक्टर आदित्य सिंह और पुलिस अधीक्षक अभिनव चौकसे ने सोमवार को हरदा के आईटीआई कॉलेज में बैरागढ़ विस्फोट दुर्घटना के पीड़ित परिवारों के लिए बनाए गए आश्रय स्थल पहुंचकर सभी को होली पर्व की शुभकामनाएं दीं, और सभी को गुलाल लगाकर उनके साथ होली मनाई और प्रभावित परिवारों के बच्चों को पिचकारियां वितरित की गई।
इस दौरान कलेक्टर सिंह ने सभी प्रभावित परिवारों को आश्वस्त किया कि उन्हें हर संभव मदद दिलाई जाएगी। एसपी चौकसे और कलेक्टर सिंह के साथ इस अवसर पर एसडीम हरदा कुमार सानू, मुख्य नगर पालिका अधिकारी कमलेश पाटीदार और जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग संजय त्रिपाठी सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी भी मौजूद रहे।
अब पहले जैसा नहीं रहा होली का पर्व, न तो उत्साह, न ही उल्लास; उमंग
होली का पर्व उत्साह, उल्लास और उमंग के लिए जाना जाता है। इस बार होली में इन तीनों का ही अभाव दिखाई दिया। होली तो मनी लेकिन रस्मअदायगी को। महंगाई का दंश और समाज के मौजूदा हालात को देखते हुए ज्यादातर लोगों ने परिवार के साथ ही त्योहार का लुत्फ उठाना मुनासिब समझा। शायद यही वजह रही कि न सड़कें लाल हो सकीं और न ही राह चलते लोगो पर छतों से रंगों की बरसात हुई। शहर से लेकर गांवों तक होली का यही हाल रहा जबकि महज दशक भर पहले तक होली की रंगत इतनी चटख होती थी कि हफ्तों राह चलते लोगों के होली बीतने का अहसास कराती थी। अब यह बात नहीं रही है। सोमवार होलिका दहन के बाद उड़ने वाली अबीर और गुलाल में कमी दिखाई दी। सड़कों पर रंग तो चला लेकिन एक दायरे तक। पिचकारी लिए बच्चे ही सड़कों में होली के रंग भरते नजर आए। नगर में छतों से बरसने वाला रंग भी इस बार देखने को नहीं मिला।