सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ ने दावा किया है कि उसे भारत की केंद्र सरकार की ओर से कुछ खास अकाउंट्स और पोस्ट्स पर रोक लगाने का आदेश मिला था। एलन मस्क के नेतृत्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ने दावा किया है कि उसे केंद्र सरकार की ओर से कुछ खास अकाउंट्स और पोस्ट्स पर रोक लगाने का आदेश मिला था।
पूर्व में ट्विटर कहे जाने वाले एक्स ने गुरुवार को यह दावा किया है। अब तक इस पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। एलन मस्क की कंपनी ने यह भी कहा कि भले ही सरकार से हमें ऐसा आदेश मिला था, लेकिन हम अभिव्यक्ति की आजादी के पक्षधर हैं। हम ऐसी रोक लगाने के खिलाफ हैं। हालांकि कंपनी ने यह भी कहा कि हम सरकार के आदेश से असहमत हैं, लेकिन उसका पालन भी कर रहे हैं।
ट्विटर के ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स अकाउंट की ओर से गुरुवार को तड़के ही ट्वीट किया गया, ‘भारत सरकार ने आदेश दिया है कि एक्स कुछ खास अकाउंट्स और पोस्ट्स पर ऐक्शन ले। यदि ऐसा नहीं किया गया तो पेनल्टी लगेगा और कैद तक की सजा होगी। इस आदेश का पालन करते हुए हम कुछ अकाउंट्स और पोस्ट्स पर रोक लगा रहे हैं। हालांकि हम इस बात से असहमत हैं। हमारा मानना है कि अभिव्यक्ति की आजादी बनी रहनी चाहिए। इस आदेश के खिलाफ हमने रिट भी दाखिल की है, जो अभी लंबित है। हमने अपनी नीति के तहत उन यूजर्स को नोटिस भी दिया है, जिनके खिलाफ ऐक्शन होना है।’
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के इस नए आरोप से केंद्र सरकार और सोशल मीडिया कंपनी के बीच नया विवाद छिड़ गया है। यह पहला मौका नहीं है, जब ट्विटर ने केंद्र सरकार के आदेशों से असहमति जताई है। इससे पहले 2021 में भी ट्विटर का यही रुख था। तब भी ट्विटर का कहना था कि सरकार के आदेश अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ हैं। बता दें कि ट्विटर का यह रुख ऐसे समय में आया है, जब नॉर्वे के एक सांसद ने एलन मस्क का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए आगे बढ़ाया है। सांसद का कहना है कि एलन मस्क ने अभिव्यक्ति की आजादी में योगदान दिया है और सभी को बोलने एवं लिखने का समान अवसर एक्स के माध्यम से प्रदान किया है।