सम्यक ज्ञान, दर्शन, चरित्र की त्रिवेणी – आचार्य विद्यासागर को विनयांजलि देने उमड़ा सकल हरदा।

शिशिर गार्गव, हरदा।

भारतवर्ष की ये विशेषता रही है कि यहां की पावन धरती ने निरंतर ऐसी महान विभूतियों को जन्म दिया है, जिन्होंने लोगों को दिशा दिखाने के साथ-साथ समाज को भी बेहतर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संतों और समाज सुधार की इसी महान परंपरा में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी का प्रमुख स्थान है। उन्होंने वर्तमान के साथ ही भविष्य के लिए भी एक नई राह दिखाई है। उनका संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक प्रेरणा से भरा रहा। उनके जीवन का हर अध्याय, अद्भुत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए अटूट प्रतिबद्धता से सुशोभित है। देखे VIDEO…..

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संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज जी सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र की त्रिवेणी थे। उनके व्यक्तित्व की सबसे विशेष बात ये थी कि उनका सम्यक दर्शन जितना आत्मबोध के लिए था, उतना ही सशक्त उनका लोक बोध भी था। उनका सम्यक ज्ञान जितना धर्म को लेकर था, उतना ही उनका चिंतन लोक विज्ञान के लिए भी रहता था।

रविवार को नगर में आयोजित संत विद्यासागर विनयांजलि एवं गुणानुवाद सभा में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करने पूरा हरदा उमड़ गया। स्थानीय नार्मदीय धर्मशाला चौराहा पर आयोजित विनयांजलि एवं गुणानुवाद सभा में स्थानीय जैन समाज के अनुयायीगणो के साथ हरदा नगर की सर्व समाज ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, इस अवसर दिवंगत संत द्वारा जिए गए जीवन की महत्ता को एक साथ मिलकर याद करते हुए उनके उपदेशों, कार्यों का स्मरण करते हुए आचार्य जी का ध्यान, पूजन, किया गया।

विनयांजलि एवं गुणानुवाद सभा मे आचार्य विद्यासागर जी महाराज को याद करते हुए समाज के अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन ने कहा की करुणा, सेवा और तपस्या से परिपूर्ण आचार्य जी का जीवन भगवान महावीर के आदर्शों का प्रतीक रहा, उनका जीवन, जैन धर्म की मूल भावना का सबसे बड़ा उदाहरण रहा। उन्होंने जीवन भर अपने काम और अपनी दीक्षा से इन सिद्धांतों का संरक्षण किया। हर व्यक्ति के लिए उनका प्रेम, ये बताता है कि जैन धर्म में ‘जीवन’ का महत्व क्या है। उन्होंने सत्यनिष्ठा के साथ अपनी पूरी आयु तक ये सीख दी कि विचारों, शब्दों और कर्मों की पवित्रता कितनी बड़ी होती है। उन्होंने हमेशा जीवन के सरल होने पर जोर दिया। आचार्य जी जैसे व्यक्तित्वों के कारण ही, आज पूरी दुनिया को जैन धर्म और भगवान महावीर के जीवन से जुड़ने की प्रेरणा मिलती है।

कलेक्टर आदित्य सिंह ने आचार्य विद्यासागर के छतरपुर प्रवास के दौरान मुलाक़ात के संस्मरण सुनाते हुए, उनके विचारो को कर्मशील और वंदनीय बताया,  सिंह ने कहा की उनका संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक प्रेरणा से भरा रहा। उनके जीवन का हर अध्याय, अद्भुत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए अटूट प्रतिबद्धता से सुशोभित है।

पुलिस अधीक्षक चौकसे ने आचार्य विद्यासागर के आधुनिक भारत के सच्चे संत के रूप में याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा की आचार्य विद्यासागर जी जैन समुदाय के साथ ही अन्य विभिन्न समुदायों के भी बड़े प्रेरणास्रोत रहे। विभिन्न पंथों, परंपराओं और क्षेत्रों के लोगों को उनका सानिध्य मिला, विशेष रूप से युवाओं में आध्यात्मिक जागृति के लिए उन्होंने अथक प्रयास किया।

क्षेत्रीय विधायक डॉ. आरके दोगने ने आचार्य विद्यासागर को याद करते हुए कहा भारतवर्ष की ये विशेषता रही है कि यहां की पावन धरती ने निरंतर ऐसी महान विभूतियों को जन्म दिया है, जिन्होंने लोगों को दिशा दिखाने के साथ-साथ समाज को भी बेहतर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संतों और समाज सुधार की इसी महान परंपरा में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी का प्रमुख स्थान है।वे सच्चे मायनों में राष्ट्र के नहीं बल्कि सकल विश्व के गुरु थे।

आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में वरिष्ट साहित्यकार प्र्भुशंकर शुक्ला, नगर पालिका अध्यक्ष भारती कमेडिया, पूर्व नपा अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन, ज्ञानेश चौबे, हरदा नगर के सर्व समाज के प्रतिनिधियों, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने आचार्य विद्यासागर महाराज को श्रदांजलि अर्पित की। 

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