भोले शंभु भोलेनाथ, हर हर महादेव के घोष से गुंजायमान हुआ समूचा मेला क्षेत्र
खिरकिया। ग्राम चारुआ में स्थित बाबा गुप्तेश्वर महादेव मंदिर से सोमवार को बाबा की पालकी निकाली गई, इस दौरान पालकी पर सवार होकर निकले गुप्तेश्वर महादेव ने प्रतिवर्ष लगने वाले मेले का भ्रमण किया और जनता जनार्दन को दर्शन दिए।
हरदा जिले की खिरकिया तहसील के ग्राम चारूवा हरिपुर में स्थित सुप्रसिद्ध गुप्तेश्वर मंदिर जो क्षेत्र की जनता का आस्था का केंद्र हे यहाँ प्रति वर्ष फागुन कृष्ण अमावस्या के दिन शाम को भगवान भोलेनाथ पालकी में सवार होकर मेला भ्रमण पर निकलते है। मंदिर प्रांगण में महाशिवरात्रि से मेला प्रारंभ हुआ है जो रंगपंचमी तक चलेगा। मेले के दौरान निकलने वाली भगवान गुप्तेश्वर की पालकी के दर्शन करने दूर- दराज से श्रद्धालु हजारों की संख्या में आते है और भोलेनाथ की पालकी के नीचे से निकलते है । पालकी के नीचे से निकलने की परंपरा प्रचलीत है कि जो भगवान भोलेनाथ की पालकी के नीचे से निकलता है उनकी हर मनोकामना भगवान भोलेनाथ पूर्ण करते हैं।
मेला समिति के अध्यक्ष पूनम पाटिल ने बताया कि भगवान भोलेनाथ गुप्तेश्वर पालकी में सवार होकर प्रतिवर्ष मेला भ्रमण पर निकलते हैं। प्राचीन समय से ही महाशिवरात्रि पर मेला आयोजित होते आ रहा है, बुज़ुर्गो बताया जाता है कि उन्हें भी यही बताया गया था कि भगवान भोलेनाथ मेला देखने के लिए आते हैं। इस मेले में पालकी के साथ हजारों भक्त भक्ति गीत गाते और बैंड बाजे की धुन पर नाचते हुए बाबा गुप्तेश्वर का जयघोष करते हुए निकलते है। मुख्य मार्ग से होते हुए पालकी कालीमाचक नदी पर ले जाई जाती है। वहा नदी के तट पर आतिशबाजी की जाती है।
हरदा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट दुर्घटना के चलते बदली सालों पुरानी परम्परा,
हरदा फटाका फैक्ट्री विस्फोट में हुई जन-धन हानि के कारण समिति के द्वारा निर्णय लिया गया कि शोभायात्रा के दौरान सालों से की जा रही आतिशबाजी और पटाखों पर प्रतिबंध रहेगा। तथा इसके स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक पायरो लेजर का उपयोग किया जायेगा तथा उसी के अनुसार भगवान भोलेनाथ की बारात में आतिशबाजी की जायेगी। इस दौरान बाबा भोलेनाथ की शोभायात्रा में लेजर और इलेक्ट्रानिक आतिशबाजी ने ग्रामीणों और श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। मंदिर महंत बाबा गणेश पूरी गोस्वामी और सेवाकर शिवदत शास्त्री जी द्वारा कालिमाचक नदी का माँ गंगा के रूप में पूजन कर भगवान भोलेनाथ की आरती होने के बाद पुनः पालकी ने मंदिर में प्रवेश किया। पालकी के बाद शाम की आरती के पूर्व भगवान गुप्तेश्वर का भात से शृंगार किया गया मंदिर समिति सदस्य ललित पालीवाल, कोषाध्यक्ष विष्णु नामदेव ने बताया की वर्ष एक बार आज ही के दिन बाबा गुप्तेश्वर का भात से मनमोहक आकर्षक श्रृंगार किया जाता है।