द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी आज, शुभयोगों में व्रत रखकर होगी भगवान गणेश की आराधना, कैसे करे पूजन, देखे मुहूर्त ..

धर्म डेस्क- संवाद।

फागुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। श्री गणेश के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करते हैं। इस बार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी बुधवार, 28 फरवरी को है। इस बार संकष्टी चतुर्थी के दिन शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार फागुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 फरवरी, दिन बुधवार को रात्रि एक बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी।

संकष्टी चतुर्थी की रात चंद्रमा की पूजा की जाएगी। व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पारण करेंगे। शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना से संकष्टी चतुर्थी व्रत करेंगी। संतान प्राप्ति के लिए भी श्री गणेश से प्रार्थना की जाएगी। कुंवारी कन्याएं भी अच्छा पति पाने के लिए दिन भर व्रत रखकर शाम को भगवान गणेश की पूजा करेंगी। मन्दिरों में भी विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश की विशेष पूजा की जाएगी।

उदयातिथि से आज ही मनाई जायेगी चतुर्थी – ज्योतिषाचार्यों के अनुसार फागुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 फरवरी, दिन बुधवार को रात्रि एक बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 29 फरवरी, दिन गुरुवार सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी को किया जाएगा। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर व्रती सूर्योदय से व्रत की शुरुआत करेंगे। शाम को गणपति की पूजा और रात के समय चंद्र देव की पूजा करेंगे। चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करके व्रत का पारण करेंगे।

पूजन मुहूर्त – चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त 29 फरवरी को सुबह 08 बजकर 32 मिनट से 09 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। जिन लोगों को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा करनी है, वे 28 फरवरी को सुबह में सर्वार्थ सिद्धि योग में कर सकते हैं। यह योग सुबह 06:48 से 07:33 बजे तक रहेगा। सुबह 06:41 से सुबह 09:41 बजे तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त भी है। शुभ-उत्तम मुहूर्त 11:07 से 12:34 बजे दोपहर तक है। ब्रह्म मुहूर्त का समय 05:08 बजे प्रातः से 05:58 बजे तक है।

बन रहे ये शुभ योग – द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन दो शुभ संयोग बन रहे हैं। व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ बुधवार दिन का शुभ संयोग बना है। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन अपने मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए सर्वार्थ सिद्धि योग उत्तम है। वहीं बुधवार का दिन वैसे भी गणेश जी की पूजा के लिए समर्पित है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!