चैत्र नवरात्रि का नौवें दिन, पूजा विधि और मंत्र, आरती, भोग, क्यों भगवान शिव ने की थी मां सिद्धिदात्री की उपासना, जानें

Chaitra Navratri 2024 9th Day: शारदीय नवरात्रि का आज अंतिम दिन है और आज मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना कर कन्या पूजन करने का विधान रहा है। मां के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं इसलिए इनकी पूजा सभी देव, ऋषि-मुनि, असुर, किन्नर और गृहस्थ आश्रम वाले करते हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री का मंत्र, भोग, पूजा विधि और कन्या पूजन का महत्व…

आज चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन है और नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा की 9वीं शक्ति माता सिद्धिदात्री की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। माता दुर्गा का यह स्वरूप सिद्ध और मोक्ष देने वाला है इसलिए माता को मां सिद्धिदात्री कहा जाता है। इनकी पूजा अर्चना करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा देव, दानव, ऋषि-मुनि, यक्ष, साधक, किन्नर और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करते हैं। इनकी पूजा अर्चना करने से धन, यश और बल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां सिद्धदात्री का स्वरूप, भोग, आरती और मंत्र…

भगवान शिव को मां से ही मिली हैं सिद्धियां

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि मां सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। देवी पुराण के मुताबिक भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही सिद्धियों को प्राप्त किया था। इन्ही देवी की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। यह देवी मां लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान है। माता के हाथों में कमल, गदा, सुदर्शन चक्र, शंख धारण किए हुए है। नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवाहन का प्रसाद और नवरस युक्त भोजन और नौ प्रकार के फल फूल आदि का अर्पण करके नवरात्र का समापन करना चाहिए। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं।

ये हैं माता की 8 सिद्धियां

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं। सभी देवी देवताओं, गंदर्भ, ऋषि, असुरों को इनकी पूजा करने से ही सिद्धियां प्राप्त होती हैं। जो भी भक्त नवरात्रि के नौ दिन उपवास, पूजा अर्चना और अंत में कन्या पूजन करते हैं, उन पर मां की असीम कृपा प्राप्त होती है और सभी अटके कार्य पूर्ण होते हैं। साथ ही घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

संवाद

ऐसा है मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री मां लक्ष्मी की तरह कमल पर विराजमान हैं और मां चार भुजाओं से युक्त हैं। माता के दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प और ऊपर वाले हाथ में शंख सुशोभित है। वहीं बाएं तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा और ऊपर वाले हाथ में चक्र सुशोभित है। मां दुर्गा इस रूप में लाल वस्त्र धारण की हैं।

माता सिद्धिदात्री का भोग

नौवें दिन माता सिद्धिदात्री को हलवा, पूड़ी, काले चने, मौसमी फल, खीर और नारियल का भोग लगाया जाता है। माता की पूजा करते समय बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ रहता है। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है।

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ही घर की पूरी साफ सफाई के बाद अन्य दिनों की तरह ही माता की पूजा-अर्चना करें लेकिन इस दिन हवन का विशेष महत्व रहा है। आज नवरात्रि का अंतिम दिन है इसलिए माता की पूजा करने से बाद सभी देवी-देवताओं की भी पूजा की जाएगी। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति या तस्वरी रखें और फिर चारों तरफ गंगाजल से छिड़काव करें। इसके बाद माता को पूजा सामग्री अर्पित करके हवन करें। हवन करते समय सभी देवी-देवताओं को नाम की आहुति भी एकबार दे दें। हवन के समय दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक के साथ मां दुर्गा की आहुति भी दी जाती है। इसके साथ ही देवी के बीज मंत्र ‘ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:’ का 108 बार जप करते हुए आहुति दें और फिर आरती उतारें। हवन करने के बाद पूरे परिवार के साथ माता के जयाकरे लगाएं और माता का आशीर्वाद लेते हुए कन्या पूजन शुरू करें। मां सिद्धिदात्री को भोग में हलवा व चना का विशेष महत्व है। इसके साथ ही पूड़ी, खीर, नारियल और मौसमी फल भी अर्पित करें और व्रत का पारण करें।

माता सिद्धिदात्री की उपासना – मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

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