खुल गए  बदरीनाथ धाम के कपाट, पावन पल के साक्षी बने हजारों श्रद्धालु, ‘संवाद’ के माध्यम से करे प्रथम दर्शन Live..

हिन्दू धार्मिक आस्था के सर्वोच्य प्रतीक पावन बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार प्रात: 6 बजे खोल दिये गए,वहीं, इससे पहले यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ मंदिर के कपाट 10 मई को खोल दिए गए थे। मांगलिक स्वर लहरियों के बीच आज बदरीनाथ धाम के कपाट खुल गए है। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने इस पावन और पुनीत पल को संजोया तथा इस पल के साक्षी बने। कपाट खुलते ही धाम में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।। श्रद्धालु अब आगामी छह माह यहाँ  भगवान बदरीविशाल के दर्शन और पूजा कर सकेंगे।

इसके पूर्व हल्की बारिश के बीच आर्मी बैंड एवं ढोल नगाड़ों की मधुर धुन और स्थानीय महिलाओं के पारंपरिक संगीत और नृत्य के साथ भगवान बदरी विशाल की स्तुति ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के साथ कुबेर जी, उद्धव जी एवं गाडू घड़ा दक्षिण द्वार से मंदिर में परिसर में लाया गया। इसके बाद मंदिर के मुख्य पुजारी रावल समेत धर्माधिकारी, हक हकूकधारी एवं बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने प्रशासन एवं हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में विधि विधान के साथ मंदिर के कपाट खोले। 

मुख्य पुजारी वीसी ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने गर्भगृह में भगवान बदरीनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करते हुए सबके लिए मंगलमय जीवन की कामना की। इसके साथ ही ग्रीष्मकाल के लिए बदरीनाथ के दर्शन शुरू हो गए हैं।  

उत्तराखंड के चारधामों की यात्रा उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धाम से शुरू होती है, जो गंगोत्री और केदारनाथ होते हुए बदरीनाथ धाम पहुंचती है। यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ मंदिर के कपाट 10 मई को खोल दिए गए हैं। कपाट खुलने के मौके पर श्रीबदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश के सहयोग से आस्था पथ से लेकर धाम को ऑर्किड और गेंदे के 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। 

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आदिकेदारेश्वर के कपाट भी खुले, जुटने लगे श्रद्धालु

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले आदिकेदारेशवर मंदिर के कपाट खुलते है। परंपरा के अनुसार सुबह पांच बजे से बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसके तहत 5 बजकर 20 मिनट पर पर वैदिक मंत्र उच्चारण शुरू हुए। इसके साथ ही जब रावल ने बदरीनाथ मंदिर के द्वार दरवाजे पर लगी सील को खोला, उसी समय राज दरबार के प्रतिनिधि कांता प्रसाद नौटियाल ने मंदिर के मुख्य द्वार का दरवाजा खोला और सर्वप्रथम बदरीनाथ के रावल और बतला बड़वा ने मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश किया

वहीं, भू-बैकुंठ धाम में अन्य तीर्थ स्थलों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है। मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही तप्तकुंड, नारद कुंड, शेषनेत्र झील, नीलकंठ शिखर, उर्वशी मंदिर ब्रह्म कपाल, माता मूर्ति मंदिर व देश के प्रथम गांव माणा, भीमपुल, वसुधारा जलप्रपात एवं अन्य ऐतिहासिक व दार्शनिक स्थलों पर भी श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। 

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